इक बार जो खो जाए वो वक़्त नहीं मिलता जो फूल बिखर जाए वो मुरझा के नहीं खिलता जो वक़्त मिला हम को अल्लाह की अमानत है इक ख़्वाब का चेहरा है ता'बीर की सूरत है गर हुक्म न हो उस का पत्ता भी नहीं हिलता इक बार जो खो जाए वो वक़्त नहीं मिलता मौक़े का बस इक टाँका तो टाँके बचाता है उधड़े हुए दामन को फटने से बचाता है ताख़ीर जो हो जाए फिर यूँही नहीं सिलता इक बार जो खो जाए वो वक़्त नहीं मिलता तौक़ीर करो उस की जो लम्हा मयस्सर है जो वक़्त पे हो जाए बस काम वो बेहतर है हाथों से फिसल जाए जो बख़्त नहीं मिलता इक बार जो खो जाए वो वक़्त नहीं मिलता