एक दिन मनाया जाना चाहिए मेरा भी साँस की बे-आवाज़ लहरों पर तैरती ज़िंदगी के साथ बे-निशान साहिलों पर बिखरी सीपियों के हमराह सर्द मौसमों में कूच कर जाने वाले परिंदों के संग अंजान सर-ज़मीनों पर किसी अन-देखे रंग के फूल की पत्तियों से फूटती पुर-असरार ख़ुशबू के बाज़ूओं में तुम मनाते हो मदर डे और हिसार में रहते हो मामता के नूर के तुम मनाते हो फ़ादर डे और घने दरख़्तों की छाँव महसूस करते हो तुम मनाते हो वैलेंटाइन डे और अपनी महबूबा के सामने सुरख़-रू ठहरते हो तुम्हारा दिल तवाफ़ करता रहता है बे-पायाँ मोहब्बतों का और तुम मोहब्बत का हर दिन मनाते हो दुकानें सज जाती हैं रंग-बिरंगे फूलों से चाकलेट और केक की मिठास से क़ीमतें मुख़्तलिफ़ सही मगर इज़हार की सकत तुम्हारी क़ुव्वत-ए-ख़रीद में रहती है मैं तुम्हारे बाप की मोहब्बत का हर रंग हर ज़ाइक़ा जानती हूँ एक दिन मनाया जाना चाहिए मेरा भी मुझे मा'लूम है तुम ये दिन मना सकते हो मगर ये दिन सारे दिनों में सरायत कर गया है तुम उसे नहीं ढूँड सकते कोई एक दिन मुख़तस भी कर दो तो उस का उन्वान तुम्हारे इज़हार की सकत से बाहर है