एक दुआ By Nazm << हम इज़ाफ़ी मिट्टी से बने असा-ब-दस्त अब नहीं है कोई >> अब बोलो कहाँ छुपे हो अब खोलो भी दरवाज़ा अंदर आने दो मुझ को या ख़ुद ही बाहर आओ प्यासे को मत तरसाओ बस पानी का इक क़तरा इन आँखों को काफ़ी है ये प्यासी आँखें मेरी तुम पानी का सागर हो अब बोलो कहाँ छुपे हो अब खोलो भी दरवाज़ा Share on: