जब दरिया में आग लगी मछली ने इक जस्त लगाई जा बैठी दीवार पर कछवे को उड़ना आता था उड़ के बैठा तार पर मेंडक को आगे जाना था वो तो भागा कार पर जब दरिया में आग लगी तार पे बिल्ली नाच रही थी कछवे से ये बोली आओ बादल में छुप जाएँ खेलें आँख-मिचौली मछली बैठी ऊँघ रही थी वो भी पीछे हो ली जब दरिया में आग लगी बादल में पानी कम-कम था लेकिन धूप ज़ियादा धूप के बिस्तर पर लेटा था बारिश का शहज़ादा सब में ओले बाँट रहा था शहज़ादे का दादा जब दरिया में आग लगी मछली ने आवाज़ लगाई लाओ मुझे भी ओले बिल्ली और कछवे को देख के दादा जी ये बोले धूप की खिड़की बादल के दरवाज़े किस ने खोले जब दरिया में आग लगी दादा की ये बात सुनी तो बिजली दौड़ी आई बिल्ली को इक धक्का मारा कछवे से टकराई मछली अपना मुँह लटकाए नीचे वापस आई जब दरिया में आग लगी