एक मंज़र By Nazm << एक रह-गुज़र पर दुआ >> बाम-ओ-दर ख़ामुशी के बोझ से चूर आसमानों से जू-ए-दर्द रवाँ चाँद का दुख-भरा फ़साना-ए-नूर शाह-राहों की ख़ाक में ग़लताँ ख़्वाब-गाहों में नीम तारीकी मुज़्महिल लय रुबाब-ए-हस्ती की हल्के हल्के सुरों में नौहा-कुनाँ Share on: