क़ुबूलियत से कहीं दूर मैं सोचूँगा कि तुम मिरी रूह नहीं हो और न जिस्म हो और ये सच ही तो है तुम मिरे कुछ भी नहीं हो एक ना-मा'लूम सा रिश्ता जिस का कोई मख़्सूस नाम नहीं है ये ज़रूर है कि तुम्हारा मेरा एक ना-मा'लूम सा वास्ता है राब्ता है मुमकिन है तुम मेरी बे-रब्त बे-तरतीब बातों को सुन कर वहशत से कह दो कि ये एक पागल है और ये भी यक़ीन है कि मैं तुम्हें एक दिन पा लूँगा और उस दिन रिश्ता महरूम हो जाएगा और उस के बा'द मैं ख़ामोश हूँ ख़ामोश हूँ