ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है ये स्कूल है इक ख़राबों की दुनिया सवालों की बस्ती जवाबों की दुनिया ये पेंसिल ये काग़ज़ किताबों की दुनिया ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है न इंग्लिश ही जानूँ न सोशल ही भाए न बायो ही समझूँ न हिन्दी ही आए जो मर्ज़ी चले तो करूँ सब को बॉय ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है मुसीबत है कैसी सहर की जगाई सभी लोग सोते हैं ओढ़े रज़ाई मगर मेरी क़िस्मत में है मुँह दिखाई ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है बुरा मूड उस पर सवा मन का बस्ता और उस पर जिसे देखिए रो'ब कसता यहाँ मेरा बचपन है हर शय से सस्ता ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है ज़रा दोस्त से बात कर लें तो आफ़त किसी वक़्त छुप कर गुज़र लें तो आफ़त इजाज़त किसी से अगर लें तो आफ़त ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है न फिल्मों की बातें न खेलों की बातें ये बे-कार की पास फ़ेलों की बातें उसूलों के क़िस्से झमेलों की बातें ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है ये ता'लीम गर मिल भी जाए तो क्या है मेरे सामने से हटा लो किताबें मिरे टीचरो तुम सँभालो किताबें प्रिंसिपल के काँधों पे डालो किताबें