मिरे बेडरूम में ज़िरो के बल्ब की... लहू-रंग रौशनी सहमी हुई है लिहाफ़ ओढ़े बदन टूटे पड़े हैं सिरहाने जागते हैं नर्म बोसे दहकती हैं ख़ुमार-आलूद आँखें महकती हैं, उखड़ती गर्म साँसें मगर साँसों में दिल अटके हुए हैं लहू-रंग रौशनी सहमी हुई है मैं कच्ची नींद से जागा हुआ हूँ वो कच्ची उम्र की टूटी हुई है