एक-तरफ़ा इश्क़ By Nazm << आईने सब ने'मत हैं >> मैं अपनी नज़्म से भरी डाइरी हाथ में पकड़े तुम्हारे सामने जब भी पढ़ना चाहता हूँ मेरे हाथ और मेरी ज़बान दोनो लड़खड़ाते हैं ये इस बात का सुबूत है कि मुझे नज़्मों से इश्क़ तो है पर वो एक-तरफ़ा है Share on: