दिन भर है चर्चा काम का शब और शराब-ए-जाँ-फ़ज़ा दिन भर हैं सारी सख़्तियाँ शब और हूरान-ए-जिनाँ एक एक साँचे में ढली एक एक पतली क़हर की ग़ुंचा-दहन आफ़त अदा शोख़ी ग़ज़ब ग़म्ज़ा बला ज़ाहिर में सफ़्फ़ाकी भरी बातिन में इक जज़्ब-ए-ख़फ़ी तेवर से रूखा-पन अयाँ अंदाज़ में मस्ती निहाँ पालो कभी वहशी हिरन ख़ुद सैद पर नावक फ़गन क्यों कर न यारों के भला लब से यही निकले सदा बाला हो या पस्ती ग़ज़ब इस तौर की हस्ती ग़ज़ब ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी हैं बार-आवर तुझ से ही बाग़-ए-तमन्ना के शजर