अल्लाह मियाँ पानी बरसा दो तपती गर्मी दूर भगा दो मैं इक मज़दूरन का बच्चा भोला-भाला बिल्कुल सच्चा कितना कम-कम माँग रहा हूँ अच्छा मौसम माँग रहा हूँ ऊँचे बंगले अच्छे खाने मेरे घर चावल के दाने एक घड़ा और एक चटाई कुछ चमचे और एक कढ़ाई सूखे लब और आँखें पानी रुत भेजो तुम ख़ूब सुहानी हम मौसम में खोने वाले थोड़े से ख़ुश होने वाले बिजली पंखा क्या जानें हम बस इक तुम को पहचानें हम अल्लाह मियाँ बाँहें फैला दो बस थोड़ा पानी बरसा दो