घनी रात By Nazm << सूरज अटकन बटकन >> चलो चराग़ बुझा कर ज़रा सा देखें हम ये काएनात किसे ढूँडने निकलती है सियाह रात की तारीकियाँ बताती हैं कि सब उजाले घनी रात के मुसाफ़िर हैं जो दिन के साथ सफ़र के लिए निकलते हैं Share on: