फूल सा नाज़ुक बेल सा कोमल नन्हा मुन्ना गुड्डू अपना दुनिया के चेहरे की रौनक़ फ़ितरत की आँखों का सपना सूरत उस की भोली-भाली गाल हैं उस के गोरे गोरे जिस्म है या फूलों की डाली बाल हैं या रेशम की डोरे उस की दुनिया प्यार की दुनिया उस की बातें प्यार की बातें बचपन के हैं समय सुहाने हँसते दिन और हँसती रातें काश उस की शफ़्फ़ाफ़ जबीं पर रंज-ओ-अलम की गर्द न छाए काश ये दुनिया ज़ालिम दुनिया इस पर कोई ज़ुल्म न ढाए मेरे बस की बात अगर हो मैं न जवाँ होने दूँ इस को यूँही ख़ुशियों के झूले में हँसता गाता देखूँ इस को