ये गुज़ारिश है दूर चल दो तुम इस से पहले कि प्यार कर बैठूँ ख़्वाब आँखों में फिर न आ जाएँ रात भी बे-क़रार कर बैठूँ कहीं ऐसा न हो तकल्लुफ़ को दिल का रिश्ता समझ ले दिल मेरा इस तरह पास पास रहने से तुम को अपना समझ ले दिल मेरा यूँ ही कह दो कि आओगे मिलने और मैं इंतिज़ार कर बैठूँ रोज़ मिलना किसी बहाने से मेरी आदत कहीं न बन जाए तुम से जो अन-कहा सा रिश्ता है वो मोहब्बत कहीं न बन जाए ये समझ कर तुम्हारा आँचल है आँखों को अश्क-बार कर बैठूँ सोच कर ये कि तुम सँभालोगे मैं कहीं बे-सबब न गिर जाऊँ ये समझ कर कि तुम समेटोगे और ज़ियादा न मैं बिखर जाऊँ इस भरोसे में तुम सियोगे इसे पैरहन तार तार कर बैठूँ