जगमगाती हुई यादों के हसीन आँचल में आज फिर क़ाफ़िला-ए-सुब्ह-ओ-मसा ठहरा है शहर के दिल के धड़कने की सदा तेज़ हुइ प्यार की छाँव में इक गीत ने ली अंगड़ाई दौर-ए-तारीख़ की बेताब गुज़रगाहों से कितने फूलों की महक ले के मोहब्बत आई हर तरफ़ अब भी हम-आग़ोश है ताबीरों से एक दिलदार के ख़्वाबों की जवाँ रा'नाई हुस्न के नाम से बाक़ी है चमक तारों की इश्क़ के पास है अंदाज़-ए-चमन-आराई तेरी तहज़ीब की राहों में लुटाने होंगे दीदा-ओ-दिल की उमंगों ने ख़ज़ाने कितने इन फ़ज़ाओं में है एहसास-ए-वफ़ा की ख़ुश्बू ये दर-ओ-बाम सुनाते हैं फ़साने कितने तेरे माथे पे है अलमास-ओ-गुहर की ताबिश तेरे होंटों पे हैं बेदार तराने कितने तेरी शादाब बहारों से गले मिलते हैं ज़िंदगानी के उजालों में ज़माने कितने जगमगाती हुई यादों के हसीं आँचल में आज फिर क़ाफ़िला-ए-सुब्ह-ओ-मसा ठहरा है