तहज़ीब का रहबर है ये पंजाब हमारा हर इल्म का मसदर है ये पंजाब हमारा हर फ़न में मुअक़्क़र है ये पंजाब हमारा इरफ़ाँ से मुनव्वर है ये पंजाब हमारा जन्नत से भी बरतर है ये पंजाब हमारा साहिर भी फ़ुसूँ-कार भी हैं इस की बहारें सरमस्त भी सरशार भी हैं इस की बहारें दिलकश भी तरह-दार भी हैं इस की बहारें गुल-रंग भी गुल-बार भी हैं इस की बहारें जन्नत से भी बरतर है ये पंजाब हमारा ये ख़ुल्द-फ़ज़ा ख़ुल्द-नुमा इस के मनाज़िर ये माह-ए-ज़िया मेहर-लक़ा इस के मनाज़िर ये कैफ़-ए-अदा रूह-फ़ज़ा इस के मनाज़िर हर सम्त ये अंदोह-रुबा इस के मनाज़िर जन्नत से भी बरतर है ये पंजाब हमारा मय-बार भी मय-नोश भी हैं इस की घटाएँ जाम-ए-मय-ए-सर-जोश भी हैं इस की घटाएँ मय-ख़ाना-ब-आग़ोश भी हैं इस की घटाएँ ग़ारत-ए-गर-ए-सद-होश भी हैं इस की घटाएँ जन्नत से भी बरतर है ये पंजाब हमारा ऋषियों ने यहाँ गाए हैं उल्फ़त के तराने गुरूओं ने सुनाए हैं हक़ीक़त के फ़साने भगतों ने यहाँ पाए हैं क़ुदरत के ख़ज़ाने लोगों ने बनाए हैं मसर्रत के ठिकाने जन्नत से भी बरतर है ये पंजाब हमारा पंजाब को हम रोशन-ओ-पुर-नूर करेंगे पंजाब को हम अम्न से मामूर करेंगे पंजाब को हर हाल में मसरूर करेंगे पंजाब को हम और भी मशहूर करेंगे जन्नत से भी बरतर है ये पंजाब हमारा