हमारी नानी जान By Nazm << सकरात मौत में पानी का ख़्... ग़रीबों का गीत >> एक हैं नानी जान हमारी क्या बतलाएँ कितनी प्यारी उन के मुँह में दाँत नहीं हैं इतनी बूढ़ी हैं बेचारी फिर भी वो खाया करती हैं कूट कूट कर पान सुपारी हुई है जब से लाहक़ उन को ब्लड-प्रेशर की बीमारी शोर ज़रा भी हो तो उन पर होती है घबराहट तारी Share on: