ये सब कहने की बातें हैं ये माल-ओ-ज़र तुम्हारा है मिरे दिल में चले आओ ये ख़ाली घर तुम्हारा है ये सब कहने की बातें हैं हक़ीक़त और ही कुछ है कि वा'दा करने वाले अपने वा'दे भूल जाते हैं ज़रूरत इक हक़ीक़त है किसी इंसान का इंसान से नाता नहीं कोई किसी के वास्ते बाम-ए-फ़लक से सितारे तोड़ कर लाता नहीं कोई हक़ीक़त और ही कुछ है ये सब कहने की बातें हैं