लड़के हँसते हैं और चल पड़ते हैं टोलियों की शक्ल में उन्हें अपने घर की तरफ़ आता देख कर ना-बालिग़ लड़कियाँ रोने लगती हैं उन्हें रोता देख कर लड़कों पर कुछ असर नहीं होता वो हँसते हुए चलते रहते हैं अपने हाथों में पिस़्तौलों को घुमाते हुए अपनी बंदूक़ों की नोकों से दुकानों के शटर बजाते अपने अपने हथियार लहराते वो बड़े फ़ख़्र से हँसते रहते हैं वो जहाँ से गुज़रते हैं लोगों के चेहरे ख़ौफ़ और दहशत से ग़ैर मा'मूली हद तक फैल जाते हैं वो जहाँ ठहरते हैं मौत उन के साथ थोड़ी देर के लिए वहीं ठहर जाती है मौत को इतना क़रीब देख कर भी उन की हँसी बंद नहीं होती उन के क़दम नहीं लड़खड़ाते वो हँसते ही रहते हैं हर सम्त में बे-शुमार गोलियाँ चलाते हर दीवार हर दरवाज़े पर बहुत से सूराख़ करते सियाह सड़क पर इंसानी ख़ून से सुर्ख़ निशान डालते अपने पीछे तर-ओ-ताज़ा फूलों से भरी क़ब्रों की जन्नत अपने पीछे ला-तादाद आँसुओं से भरा शफ़्फ़ाफ़ दरिया छोड़ते हँसते हुए वो गुज़र जाते हैं कभी उन में से एक आध लड़का अपने किसी साथी की ग़लती या मुख़ालिफ़ सम्त से आने वाली गोलियों की वज्ह से रुकता है और हँसते हुए एक कार के पीछे छुपने की कोशिश में ज़मीन पर गिर जाता है हमेशा के लिए हर तरफ़ ख़ामोशी हो जाने पर बाक़ी लड़के इस के ठंडे बे-जान जिस्म के चारों तरफ़ जम्अ' हो जाते हैं वो देखते हैं लड़के के चेहरे पर मौत की हँसी अब तक मौजूद है