ताज़ा ख़बर मिली है हथिनी दुल्हन बनी है सौ गज़ का है ग़रारा दस गज़ का है दुपट्टा कुर्ता है तम्बू जैसा आए कहाँ से जूता है ढोल जैसी नथुनी पहने है जिस को हथिनी कानों में है जो बुंदे जैसे ट्रक के पहिए सुनता है जो भी बंदा सुन कर यही है कहता ऐसी कहाँ है डोली बैठेगी जिस में हथिनी