हौसला By प्रेरणादायक, Nazm << अक़्ल-मंद शिकारी आरज़ू >> निकल गई हूँ ज़मीं की हद से फ़लक की जानिब रवाँ हुई हूँ मैं मिस्ल-ए-शोला हुई हूँ फिर भी ज़माना समझा धुआँ हुई हूँ चराग़-ए-ख़ाना चराग़-ए-महफ़िल हर इक जगह मैं अयाँ हुई हूँ फ़ना के कत्बे बहुत हैं लेकिन तिरी बक़ा का निशाँ हुई हूँ Share on: