रातों को जब हम-साए के घर से बच्चे के रोने की आवाज़ें आती हैं तो मिरी आँखें भीगने लगती हैं और मेरे अंदर इक भूका एहसास भड़कने लगता है तब मेरी मरयमियत उस को बहलाती है और मेरे अंदर की सारा इन प्यासी आशाओं के लिए कहीं सागर ढूँडने जाती है मुझे अपनी माँ याद आती है