हिज्र By Nazm << रिक्शे वाला फ़रमान-ए-ख़ुदा >> हिज्र में भी फ़ुर्क़त का गुमाँ होने नहीं देता रहता है वो ख़यालों में इतने क़रीब कि वस्ल की सूरत में धुलने लगता है उस का एहसास Share on: