नया पुराना हो कोई मौसम तलाश-ए-जा-ए-अमाँ रहेगी बहुत दिनों तक दिलों की सरहद पर फिर तशद्दुद की जंग होगी उसूल की धज्जियाँ उडेंगी गली गली में क़बीह लम्हों के देवताओं का रक़्स होगा बहुत दिनों तक फ़ज़ा में गर्द-ओ-ग़ुबार होगा धुआँ धुआँ ज़िंदगी की राहों में ख़ार-ओ-ख़स का हिसार होगा बहुत दिनों तक लहू लहू आसमान होगा शजर शजर बे-ज़बान होगा वो फूल जिन की रगों में अपना लहू है शामिल बदलते मौसम का साथ देंगे हमारे सब ही हरीफ़ होंगे बगूले मग़रिब से उठ रहे हैं फिर एक ताज़ा सा ज़ख़्म होगा