ईद का मेला

लो ईद आई लो दो पुलिए मैदान में भर बाज़ार लगा
हर चाहत का सामान हुआ हर ने'मत का अम्बार लगा

सब उजला शहर उमँड आया शलवार सजा दस्तार लगा
इस भीड़ के बिफरे तूफ़ाँ में जो डूब गया सो पार लगा

टोली के आगे टोला है रैली के पीछे रेला है
यारो ये ईद का मेला है

मरकज़ रंगीं रानाई का चिकना तम्बू हलवाई का
ज़ीना ज़ीना ज़ीनत से धरा है थाल पे थाल मिठाई का

गर्दन ऊँची रस-गुल्ले की सर नीचा है बालाई का
हलवाई दाम बटोरने में सर मूंड रहा है नाई का

बर्फ़ी इमिर्ति पेङ़ा है चम चम लड्डू गजरेला है
यारो ये ईद का मेला है

धुँदले तरपाली मंडवे में नाटक नौटंकी आई है
नौबत नक़्क़ारा सारंगी ढोलक झाँजन शहनाई है

कल सोला टेड्डी पैसों में किस धूम की रास रचाई है
लैला के लबों पर सुर्ख़ी है मजनूँ के गले में टाई है

ये हँसने में मन मोजन है वो गाने में अलबेला है
यारो ये ईद का मेला है

इक सर्कस टेढ़ा-मेढ़ा सा अंजाम तो क्या आग़ाज़ नहीं
उस रीछ के मुँह में दाँत नहीं इस बाज़ की आँखें बाज़ नहीं

वो शेर कि जिस की मूंछ तो है पर जस्त नहीं आवाज़ नहीं
तोता भी ख़ैर से गूँगा है शाहीं को पर-ए-पर्वाज़ नहीं

दो बंदर टीन के अंदर हैं डरबे में मुर्ग़ अकेला है
यारो ये ईद का मेला है

पगडंडी जगमग मंडी है बाँसों पर तम्बू ताने हैं
कुछ नए नवीले होटल हैं कुछ रेस्तौरान पुराने हैं

हर ढंग के सस्ते खाने हैं हर रंग के फ़िल्मी गाने हैं
कुछ चलते फिरते छोटे छोटे गश्ती ने'मत-ख़ाने हैं

तर हलवा गर्म कड़ाही में दो लोटे हैं इक ठेला है
यारो ये ईद का मेला है

क्या कूचा-ओ-दर क्या कोह-ओ-दमन गुल-बर्ग हैं सब गुलनार हैं सब
ख़ुशबू में बसे गुलज़ार हैं सब रंगों से भरे बाज़ार हैं सब

बच्चे तो अल्हड़ बच्चे हैं बूढे भी सबा रफ़्तार हैं सब
पोशाक में चूड़ी-दार हैं और और ख़ुराक में मुर्ग़ा-मार हैं सब

हर सू ख़ुशियों का रेला है मन मंगला दिल तरबेला है
यारो ये ईद का मेला है

लो इक जी-दार बिसाती ने हर चीज़ लगा दी चार आने
कंघी जापानी चार आने शीशा बग़्दादी चार आने

पतली सी छतरी के नीचे मोमी शहज़ादी चार आने
हर गुड़िया पुड़िया बाजा खाजा रेशम खादी चार आने

बगुले की चोंच में मछली है केले के साथ करैला है
यारो ये ईद का मेला है

बच्चे बाले गबरू बूढे ख़ुश-वक़्त हुए ख़ुश-हाल हुए
झूलों में झूल के फूल बने फूटबाल बने भौंचाल हुए

बर्क़ी चक्कर में चकरा कर चहके तो ख़ुशी से लाल हुए
इक धूम धड़क्की फेरे में सब पैसे इस्ति'माल हुए

सुंदरी के कान में मुँदरी है शौहर की जेब में धेला है
यारो ये ईद का मेला है


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