तिरी संजीदा बातें याद आएँ तो हँसाती हैं तिरी सब भोलपन में की हुई बातें सताती हैं तिरा ये बचपना तो जाने कब जाएगा जान-ए-जाँ तुझे भी प्यार करना जाने कब आएगा जान-ए-जाँ भरी महफ़िल में सब के सामने इक़रार करता हूँ मैं तुम से प्यार करता हूँ तुम्ही से प्यार करता हूँ न हो मुझ पर यक़ीं तुम को तो इक दिन आज़मा लेना और उस के बा'द जान-ए-जाँ मुझे अपना बना लेना