इलाहाबाद में हर-सू हैं चर्चे कि दिल्ली का शराबी आ गया है ब-सद आवारगी या सद तबाही ब-सद ख़ाना-ख़राबी आ गया है गुलाबी लाओ छलकाओ लुंढाओ कि शैदा-ए-गुलाबी आ गया है निगाहों में ख़ुमार-ए-बादा ले कर निगाहों का शराबी आ गया है वो सरकश रहज़न-ए-ऐवान-ए-ख़ूबाँ ब-अज़्म-ए-बारयाबी आ गया है वो रुस्वा-ए-जहाँ नाकाम-ए-दौराँ ब-ज़ो'म-ए-कामयाबी आ गया है बुतान-ए-नाज़-फ़रमा से ये कह दो कि इक तर्क-ए-शहाबी आ गया है नवा-संजान-संगम को बता दो हरीफ़-ए-फ़ारयाबी आ गया है यहाँ के शहर यारों को ख़बर दो कि मर्द-ए-इंक़िलाबी आ गया है