हम इल्म के सौदागर हैं और मकतब में तिजारत करते हैं सब करते हैं तारीफ़ हमारी दिल में हिक़ारत करते हैं हम में से कुछ ऐसे भी हैं जो इल्म से बिल्कुल हैं आरी बेहतर रहता होते वो अगर किसी और ही चीज़ के ब्योपारी ऐसे भी हैं जो औरों की तरह चीज़ों में मिलावट करते हैं जो इल्म की चोरी करते हैं वो झूटी सजावट करते हैं कुछ ऐसे बद-क़िस्मत भी हैं जो माल तो अच्छा रखते हैं और बेच नहीं सकते इस को इस्मत की तरह बाज़ारों में तश्हीर के राज़ से ना-वाक़िफ़ ये सादा-दिल बे-नाम भी हैं और जिस को ग़ुरूर-ए-फ़न कहते हैं उस से कुछ बद-नाम भी हैं है उन के नसीब में फ़रहादी और है शीरीं औरों के लिए काँटों का ताज है उन के लिए तौक़-ए-ज़र्रीं औरों के लिए