गिला है कम-निगही को में कामगार नहीं हनूज़ नुदरत-ए-किरदार आश्कार नहीं मिरा वो सोज़ है ना-महरमों में बे-ताबीर मह-ओ-सितारा को जिस के लिए क़रार नहीं मिरा सुकूत जवाब आइना है उन के लिए वो जिन की राय में दीवाना होनहार नहीं नहीं है कोई दरख़्शंदा बर्क़ जिस की मिसाल मुशाबह जिस के कोई गुहर-ए-आबदार नहीं सज़ा-ए-ख़्वेश है ख़ुद सत्ह-ए-चश्म-ए-ज़ाहिर में जिसे मआ'नी-ए-शाइ'र पे ए'तिबार नहीं सबब हैं और भी लेकिन ब-जुज़ दो-हर्फ़ जवाब अदा-ए-ज़ैल से मक़्सूद ज़ीनहार नहीं तुम्हीं कहो है मिरा कौन सा करम-फ़रमा कि जिस की ख़ातिर-ए-बरगश्ता में ग़ुबार नहीं हो शाद-कामी-ए-गुल-गश्त-ए-ज़र्फ़ शाइ'र क्या मुसाफ़-ए-शहर चरागाह-ओ-चश्मा-साज़ नहीं शगुफ़्त-ए-तबा के सामान-ओ-साज़ हैं नापैद सबा नहीं चमनिस्ताँ नहीं बहार नहीं मशाम-ए-नग़्मा है आज़ुर्दा चहचहे ख़ामोश नवा-ए-ग़ुंचा नहीं निकहत-ए-हज़ार नहीं नहीं बत-ए-मय-ए-साक़ी न बरबत-ए-मुतरिब बिसात-ए-गुल नहीं आग़ोश-ए-गुल-एज़ार नहीं मुहीत-ए-ग़ुर्बत-ए-बालीं है ख़ानुमाँ-सोज़ी कोई हबीब नहीं कोई ग़म-गुसार नहीं मिरे कमाल की ज़ामिन है ख़ुद ये क़िस्मत-ए-ग़म ख़ुशा मैं खस्ता-ए-ग़म तो हूँ सोगवार नहीं