इंतिबाह Admin तेवर शायरी, Nazm << इंतिबाह इंटरनेट-स्थान की मलिका >> उस रात लम्स-ए-माह से इक बीज मेरे ख़ून में बेदार हो गया रग रग में बर्ग-ओ-शाख़ तनावर शजर बना वीराना-ए-तपाँ से गुज़रती है जब हुआ नोकीले नीले पत्तों से टप टप दमकते ज़हर की बूँदें टपकती हैं हज़र करो This is a great इंतबाह शायरी. Share on: