पिंदार के ख़ूगर को नाकाम भी देखोगे आग़ाज़ से वाक़िफ़ हो अंजाम भी देखोगे रगीनी-ए-दुनिया से मायूस सा हो जाना दुखता हुआ दिल ले कर तंहाई में खो जाना तरसी हुई नज़रों को हसरत से झुका लेना फ़रियाद के टुकड़ों को आहों में छुपा लेना रातों की ख़मोशी में छुप कर कभी रो लेना मजबूर जवानी के मल्बूस को धो लेना जज़्बात की वुसअत को सज्दों से बसा लेना भूली हुई यादों को सीने से लगा लेना