वो लहन जो सदियों सदियों तक इंसान के दिल की धड़कन था उस लहन का जादू टूट गया फ़िरदौस के नग़्मे ख़्वाब-ए-अलस्त उक़्बा की कहानी नक़्श-ए-कुहन कोहसार पे बादल सरगर्दां अफ़्लाक के क़ैदी शम्स-ओ-क़मर तारीख़ नवा-ए-पारीना मज़हब की रिवायत फ़र्सूदा अख़्लाक़ की क़द्रें चकना-चूर तहज़ीब के मंदिर बोसीदा फ़ितरत का सहारा क्या छूटा हर रिश्ता-ए-माज़ी छूट गया सुनसान गुज़रगाहों पर अब मौत का डमरू बजता है धरती का मुसाफ़िर बे-चारा हैरान-ओ-परेशाँ सेहर-ज़दा मंज़िल की तलब में आवारा सज्दे के लिए पत्थर भी नहीं आँसू के लिए दामन तो कुजा जीने के लिए लाज़िम है उसे कुछ ताज़ा जुनूँ तख़्लीक़ करे तस्कीन-ए-जिगर पाने के लिए रिश्तों की नई ता'मीर करे जिस पेड़ का फल खाया था कभी उस फल के दाम चुकाना है गो हाथ में है अब लौह-ओ-क़लम तहरीर का फ़न अपनाना है अबवाब-ए-किताब-ए-हस्ती को तश्कील का मक़्सद पाना है