आगही चंद समझौतों का ला-मुत्नाही सिलसिला है जो मुझे मेरे शुऊर के इनआम में दिया जा रहा है ज़िंदगी!! सिर्फ़ एक तवील हिज्र का ज़ाइक़ा है जो मुझे इश्क़ के इल्ज़ाम में दिया जा रहा है शायरी जज़्बों को लफ़्ज़ से गाँठ कर मार देने का हौसला है जो मुझे बंदगी के नाम पर दिया जा रहा है