शहर के मकानों के सर्द साएबानों के दिलरुबा थके साए ख़्वाहिशों से घबराए रह-रवों से कहते हैं रात कितनी वीराँ है मौत बाल-अफ़्शाँ है इस घने अंधेरे में ख़्वाहिशों के डेरे में दिल के चोर बस्ते हैं उन के पास जाने के लाख चोर रस्ते हैं
This is a great इशारे शायरी.