इश्क़ Admin परेशानी शायरी, Nazm शाम के धुँदले साए में इमली के इक पेड़ के नीचे मेरी पेशानी पे लिक्खा था तुम अपने सुर्ख़ लबों का नाम सारे बदन में सितार के तारों ने छेड़ा इक नग़्मा वही नाम अब मेरे लहू की तंग गली में गाने लगा है! Share on: