हमारे जिस्म हैंगरों पर मए सेल्ज़-टेक्सेस लटके हुए हैं हमारे सियानों ने विरासत में हमें न्यूज़ ऐंकर दिए हैं जो हमें कोई भी ख़ुश-ख़बरी न सुनाने की तनख़्वाह लेते हैं और हम रोज़ाना शब नौ बजे उन का आशीर्वाद ले कर बिस्तरों में दुबक जाते हैं सुना है हमारा जनम पूरे चाँद की रात को हुआ था जो अमावस की तरह सियाह थी उस रात हमारी आँखें स्क्रीन पर चिपका दी गईं और ज़बान रेमोट के बटनों के बीच दबा दी गई हम लिखना जानते थे हम ने अपनी उँगलियाँ क़लम बना दीं और तहरीर को ज़बान दे दी लेकिन एक शाम ब्रेकिंग-न्यूज़ से पता चला कि तमाम लफ़्ज़ इजतिमाई ख़ुद-कुशी कर चुके हैं