जब देखो दूर ख़लाओं में इक चेहरा सा बन जाता हो जब तन्हाई के मिलते ही वो याद तुम्हें आ जाता हो जब अनजाने में चुपके से इक नाम से निस्बत हो जाए जब उस को सोचते रहने से कुछ दिल को राहत हो जाए जब रात अचानक नींद खुले उस पैकर की ही याद आए जब अपनी साँसों से तुम को एक शख़्स की ख़ुशबू सी आए जब अन-जाना एहसास लिए वो ज़ेहन-ओ-दिल पर छा जाए जब दुनिया भर में उस के सिवा कोई और नज़र ही ना आए तब समझो 'मीना' तुम ने भी अब इश्क़ का दामन थाम लिया इक ख़्वाब कभी जो देखा था ता'बीर को अपने नाम किया ता'बीर को अपने नाम किया