जब तुम ने मुझे By Nazm << किन सोचों में डूबे हो यमन का सितारा >> अपने अहाते से खदेड़ा था मेरे साथ ख़ुदा भी बे-घर हो गया था तुम मेरी आँखों से दरमाँदा ख़्वाब हटा सकते थे या फिर मेरे मन के आँसू पोंछ सकते थे मैं यूँ कश्कोल लिए इस शहर में अपनाइयतें न माँगती जहाँ भगवान भी भीक में पैसे माँगता है सड़कों पे Share on: