कनफ़्युशेश ने कहा था हो न छुटकारा ज़िना-बिल-जब्र से तो हार मानो लेट जाओ लुत्फ़ उठाओ और उसे मक़्सूम जानो और गाँधी ने कहा है ऐसी मुश्किल पेश आ जाए तो फ़ौरन काट लो अपनी ज़बाँ को और नफ़्स को रोक लो हत्ता की दम जाए निकल और हो रिहाई किस को समझें किस की मानें