दुनिया में तुझ को है अगर अरमान-ए-ज़िंदगी तदबीर से तू बाँध ले पैमान-ए-ज़िंदगी ताब-ओ-तब-ए-अमल ख़लिश-ए-कोशिश-ए-दवाम उन से बहम पहुँचता है सामान-ए-ज़िंदगी कर ले रफ़ू तू जोशिश-ए-किरदार से इसे क्यूँ कर रहा है चाक गरेबान-ए-ज़िंदगी जिस ज़िंदगी में जोश-ए-ख़ुदी का न हो ख़याल वो ज़िंदगी नहीं कभी शायान-ए-ज़िंदगी कर नूह बन के उस का तो हर-दम मुक़ाबला तूफ़ान-ए-ज़िंदगी है ये तूफ़ान-ए-ज़िंदगी महदूद तू समझने लगा है इसे मगर बे-इंतिहा वसीअ' है मैदान-ए-ज़िंदगी