वफ़ा का ज़ौक़ दिया है तिरी मोहब्बत ने दिलों को फ़त्ह किया जज़्बा-ए-शराफ़त ने तिरी हया से तक़द्दुस है आदमियत का किया है तुझ को सर-अफ़राज़ जज़्ब-ए-ग़ैरत ने चमन में जिस से है इज़्न-ए-शगुफ़्त-ए-ग़ुन्चा-ओ-गुल गुदाज़ क़ल्ब वो बख़्शा है तुझ को क़ुदरत ने बहुत ही कम हैं वो शाइस्ता-ए-नज़र जिन को ख़िराज-ए-शौक़ दिया ज़िंदगी की अज़्मत ने हर एक बे-कस-ओ-मज़लूम की हिमायत का तुझे शुऊ'र दिया है ख़ुदा की रहमत ने फ़रोग़-ए-बज़्म-ए-सुख़न तेरी सरपरस्ती से अदब शनास किया है तिरी अक़ीदत ने शगुफ़्तगी दिल-ए-बर्बाद को अता की है तिरे ख़याल तिरे याद की लताफ़त ने