जल्सा By Nazm << टॉफ़ी-नामा फ़ुनून-ए-लतीफ़ा >> शामियानों के अंदर मुस्कुराहटें हर एक चीज़ पे चस्पाँ हैं रंज-ओ-ग़म का कहीं भी निशाँ नहीं ख़ूबसूरत लिबासों में लिपटे हुए ख़ास-ओ-आम लोग ख़ुशी का मुलम्मा' चढ़ाए ख़ूब बढ़ा रहे हैं जलसे की रौनक़ Share on: