ऐ कि तेरी ख़िदमतें सरमाया-दार-ए-इल्म हैं तेरा मक़्सद ज़ीस्त का आग़ाज़-ए-ख़ुश-अंजाम है ऐ कि तेरी जिद्दतें आईना-दार-ए-इल्म हैं दाइमी तस्कीं ज़माने को तिरा पैग़ाम है तेरे पैकर में निहाँ है ख़्वाहिश-ए-औज-ए-कमाल है तिरी ता'मीर में इल्म-ओ-अमल की काएनात तेरे सीने में है मुज़्तर जुम्बिश-ए-मौज-ए-ख़याल चश्मा-ए-बख़शिश है तेरा चश्मा-ए-आब-ए-हयात तेरी हर हरकत में मख़्फ़ी आरज़ू-ए-इज़्तिरार तेरी तदबीर-ए-अमल पर इंहिसार-ए-ज़िंदगी तेरे हर आराम में पिन्हाँ सुकूत-ए-बे-क़रार तेरा एहसास-ए-करम जान-ए-बहार-ए-ज़िंदगी काश तू मेरे लिए वजह-ए-कशूद-ए-कार हो तेरी क़ुम से बख़्त-ए-ख़्वाबीदा मिरा बेदार हो