जश्न-ए-आज़ादि-ए-हिन्द है ये धज तिरंगे की देखो निराली हम ने ऊँचा किया जब ये परचम आसमाँ ने भी गर्दन झुका ली देश भगतों को श्रद्धांजलि हो देश भारत की इज़्ज़त बचा ली आज़ादी-ए-वतन के लिए काम कर गए हर चाल सामराज की नाकाम कर गए तारीख़-ए-हिंद में वो बड़ा काम कर गए जो मुसीबत उन्हें पेश आई ख़ुश-दिली से गले वो लगा ली देश भगतों को श्रद्धांजलि हो देश भारत की इज़्ज़त बचा ली उमडा हुआ ग़ुलामी का बादल हटा दिया सूरज वो बन के चमके अंधेरा हटा दिया किरनों से अपनी सारा वतन जगमगा दिया हर तरफ़ आसमान-ए-वतन पर छा रही थी घटा काली काली देश भगतों को श्रद्धांजलि हो देश भारत की इज़्ज़त बचा ली वो मौज-ए-तेज़ देखिए मंजधार देखिए आपस में एकता का चमत्कार देखिए मिल-जुल के बेड़ा कर दिया ये पार देखिए मिल के हिन्दू मुसलमान सब ने बीच तूफ़ाँ से कश्ती निकाली देश भगतों को श्रद्धांजलि हो देश भारत की इज़्ज़त बचा ली मौलाना इन में कोई था कोई महात्मा सब ने किया है मिल के ग़ुलामी का ख़ात्मा सब को दुआएँ देती है भारत की आत्मा वो ग़ुलामी की जो हथकड़ी थी सब के हाथों ने वो तोड़ डाली देश भगतों को श्रद्धांजलि हो देश भारत की इज़्ज़त बचा ली