सालगिरह ख़रगोश मनाए जंगल के सब साथी आए भीड़ लगी है मेहमानों की कुछ अपनों कुछ बेगानों की शेर दहाड़ें मारता आए हाथी भी चिंघाड़ता आए कुत्ता भौं भौं करता आया सांभर चौकड़ी भरता आया गाय जब रम्भाती आई बकरी कुछ शरमाती आई नाचता गाता आया भालू डोलता आया मेंढा कालू घोड़ा सरपट दौड़ा आया भैंसों का इक जोड़ा आया हिरनी आई लोमड़ी आई बिल्ली अपने बच्चे लाई साथ में सब ही लाए तोहफ़े सब ख़रगोश ने पाए तोहफ़े फूलों का गुलदस्ता ले कर चीं चीं करता आया बंदर केक बना के लाया चीता उस ने दिल ख़रगोश का जीता केक कटा तो सारे ख़ुश थे केक बटा तो सारे ख़ुश थे इक दूजे से गले मिले सब भूल के शिकवे और गिले सब बंदर नाचे भालू गाए कालू मेंढा ढोल बजाए सालगिरह का जश्न बपा है जंगल जंगल शोर हुआ है