किसी कोने से निकलता है एक ख़ौफ़ और रक़्स करने लगता है मेरे सामने जैसे कोई माहिर रक़्क़ास बता रहा हो भाव ताओ या कोई गहरा राज़ ज़िंदगी और मौत का फिर पर्दा गिरता है जाने कब ख़ौफ़ मेरे सीने पर चढ़ आता है मैं चिल्लाने लगती हूँ जागते और सोते में लड़ती ही रहती हूँ इस जंग में जीत किस की होगी