जुर्म ओ सज़ा By Nazm << समय हो गया ये मेरी ग़ज़लें ये मेरी न... >> मुझ को अब भी याद है इक दिन घर वालों की आँख बचा कर मैं ने इक सूने कमरे में इक लड़की को चूम लिया था अब वो लड़की माँ है, उस के काले पीले बच्चे हैं बच्चे मेरी गोद में आ कर मुझ को अब्बा कहते हैं Share on: