मैं ने सोचा था कि इस बार तुम्हारी बाहें मेरी गर्दन में ब-सद-शौक़ हमाइल होंगी मुश्किलें राह-ए-मोहब्बत में न हाइल होंगी मैं ने सोचा था कि इस बार निगाहों के सलाम आएँगे और ब-अंदाज़-ए-दिगर आएँगे फूल ही फूल फ़ज़ाओं में बिखर जाएँगे मैं ने सोचा था कि इस बार तुम्हारी साँसें मेरी बहकी हुई साँसों से लिपट जाएँगी बज़्म-ए-एहसास की तारीकियाँ छट जाएँगी मैं ने सोचा था कि इस बार तुम्हारा पैकर मेरे बे-ख़्वाब दरीचों को सुला जाएगा मेरे कमरे को सलीक़े से सजा जाएगा मैं ने सोचा था कि इस बार मिरे आँगन में रंग बिखरेंगे उमीदों की धनक टूटेगी मेरी तन्हाई के आरिज़ पे शफ़क़ फूटेगी मैं ने सोचा था कि इस बार ब-ईं सूरत-ए-हाल मेरे दरवाज़े पे शहनाइयाँ सब देखेंगे जो कभी पहले नहीं देखा था अब देखेंगे मैं ने सोचा था कि इस बार मोहब्बत के लिए गुनगुनाते हुए जज़्बों की बरात आएगी मुद्दतों ब'अद तमन्नाओं की रात आएगी तुम मिरे इश्क़ की तक़दीर बनोगी इस बार जीत जाएगा मिरा जोश-ए-जुनूँ सोचा था और अब सोच रहा हूँ कि ये क्यूँ सोचा था