क़ाफ़िए आते गए By Nazm << केथार्सिस ऐ हम-नफ़साँ >> क़ाफ़िए आते गए और मैं उन्हें पैहम पिरोता ही गया अफ़्कार में इस लिए बरजस्तगी का रंग और आहंग है मेरे हसीन ओ दिल-नशीं अशआर में आ गई उस्लूब की शाइस्तगी और फ़न की आगही और वक़ार ओ वज़्न पैदा हो गया किरदार में Share on: