मेरी कहानी रस्ते में जाने कहाँ पे खो गई जी दिल में बहुत शर्मिंदा हूँ भूल ये मुझ से हो गई जी मैं जब अपने घर से चली सड़क सड़क और गली गली कहीं मिठाई रक्खी थी वहीं बड़ी सी मक्खी थी मक्खी बोली भिन भिन भिन जाओ न तुम टीवी मुझ बिन नाचूँगी और गाऊँगी अपने हुनर दिखलाऊँगी मैं ने कहा क्या गाओगी बीमारी फैलाओगी मक्खी उड़ गई जल्दी से मैं भी मुड़ गई जल्दी से मोड़ पे चिड़िया बैठी थी मेरा रस्ता तकती थी कहने लगी वो चूँ चूँ चूँ मैं भी तुम्हारे साथ चलूँ नाचूँगी और गाऊँगी अपने हुनर दिखलाऊँगी पास ही चीं चीं होने लगी बेबी चिड़िया रोने लगी मैं ने कहा इस को बहलाओ दाल का दाना ले के जाओ उड़ गई कह के जाऊँ जाऊँ बिल्ली बोली म्याऊँ म्याऊँ नाचूँगी और गाऊँगी अपने हुनर दिखलाऊँगी मैं उस से कतराने लगी बस यूँही समझाने लगी चूहे अगर सुन पाएँगे कैसा मज़ाक़ उड़ाएँगे बिल्ली को चूहे याद आए उस ने पंजे लहराए पंजे में उलझा ग़ुब्बारा सामने था इक फ़व्वारा फ़व्वारे के पास वहाँ मुन्नू के भाई चुन्नू मियाँ गोद में जो थे आया की क्या जानें वो चालाकी आज हमें भी ले के चलो टेलीविज़न स्टेशन को मैं ने उन को टॉफ़ी दी उन्हों ने मुझ को मुआ'फ़ी दी फिर मैं आई आप के पास नहीं कहानी मेरे पास मेरी कहानी रस्ते में जाने कहाँ पे खो गई जी दिल में बहुत शर्मिंदा हूँ भूल ये मुझ से हो गई जी